पृथ्वी एक विशाल इकोतन्त्र (ecosystem) है इसमें पाए जाने वाले जीव धारी जैसे जन्तु एंव वनस्पतियाँ इनके जीवीय घटक(biological components) है, जो ecosystem के निर्जीव वातावरण में रहते हैं। जीवधारियों एवं निर्जीव वातावण में घनिष्ट(close) सम्बन्ध रहता है और ये एक दूसरे को प्रभावित (influenced) करते है जीवीय और निर्जीव घटको के बीच संतुलन आवश्यक है और इनका संतुलन बिगड़ जाने से वायु ,जल एवं मिट्टी के भौतिक , रासायनिक एवं जैविक लक्षणों में परिवर्तन हो जाता है जिसका प्रतिकूल प्रभाव जीवधारियों पर पड़ता है यही परिवर्तन प्रदूषण कहलाता है। .
प्रदूषण के प्रकार (Types of Pollution)
प्रदूषण पांच प्रकार के होते है (There are five types of pollution)
1 वायु प्रदूषण (Air pollution) : वायु में हानिकारक प्रदूषकों के एकत्रित होने को वायु प्रदुषण कहते हैं। अधिक जनसंख्या, वाहन , असंतुलित औद्योगीकरण इसके मुख्य कारण हैं।
2 जल प्रदूषण (Water pollution): जल में हानिकारक प्रदूषकों , हानिकारक पदार्थों के एकत्रित होने को जल प्रदुषण कहते हैं।
3 मृदा प्रदूषण (Soil pollution): मिट्टी में हानिकारक विषैले पदार्थों के एकत्रित होने को मृदा प्रदुषण कहते हैं।
4 ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution): जरुरत से जयादा आवाज शोर कहलाती है , 75 डेसिवल से जयादा ध्वनि जीवधारियों के लिए हानिकारक है। जरुरत से जयादा आवाज ही ध्वनि प्रदुषण है।
5 विकिरण प्रदूषण (Radiation Pollution): नाभिकीय विस्फोट से जो कण निकलते है , उन्ही से विकिरण प्रदूषण होता है।
विकिरण प्रदूषण वायु, जल तथा मृदा तीनों में हो सकता है।