हर किसी वयक्ति का सपना होता है , की वह अपने जीवन में अपनी मेहनत की कमाई से घर बनाये , जिसमें वह सुकून से अपने घर में रह कर अपना जीवन यापन करे, वैसे तो घर बनाने के लिए रेत , सीमेंट , गिट्टी एवं सरिया की जरुरत होती है, लेकिन हम लोग वास्तु को भूल जाते हैं, जिस तरह घर में सुख एवं शांति के लिए हम पूजा पाठ एवं हवन करते हैं, उसी तरह घर में सुख एवं शांति के लिए वास्तु का भी बहुत महत्व है, तो हम आप को आज बताएंगे की घर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र का कितना महत्व है |
वैसे तो आप सब वास्तु शास्त्र के बारे में जानते हो, या कहीं ना कहीं आप ने शास्त्र के बारे में पड़ा ही होगा, घर बनाने के लिए वास्तु शास्त्र में दिशा का बहुत महत्त्व होता है, माना जाता है जो घर वास्तु शास्त्र के हिसाब से बनता है , उस घर में हमेशा सुख शांति का वास रहता है, उस घर में धन की कभी कमी नहीं आती |
वैसे तो चार दिशा मेन होती है पूर्व , पख्चिम , उत्तर , दक्षिणी वास्तु शास्त्र कोण वहूत महत्त्व होता है , और ये कोण दो दिशा के बीच का कोण होता है , जैसे :- पूर्व दिशा और उत्तर दिशा के बीच का कोण ईशान कोण कहा जाता है , वास्तु कहता है ईशान कोण में पानी का वास होता है , प्लाट के इस कोण को हमेशा खली छोड़ना चाइये , इस लिए इस कोण पर हमेशा बोरिंग या पानी का निकाश होना चाहिये , पूजा रूम भी बना सकते है , लेकिन इस कोण पर कभी टॉयलेट नहीं बनाना चहिये , उसी तरह आग्नेय कोण में अग्नी का वास होता है , इस कोण में हमेशा किचन बनाना चाइये , नैरित्य कोण में बेडरूम का निर्माण होना चाहिये इस कोण में हमेशा घर के मुखिया का बैडरूम होना चाइये , वायव्य कोण में हॉल या बैडरूम बना सकते है , प्लाट के बीच में व्रह्माजी का वास होता है , यहाँ जगह खली छोड़ना चहिये | वास्तु शास्त्र के हिसाब से जीना हमेशा घडी की दिशा से ही ऊपर चढ़ना चाहिये.